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पानी पीने क़ी चाणक्य नीति

आयुष दर्पण
आयुष दर्पण
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पानी पीने   के महत्व को आयुर्वेद के मनीषियों ने तो बताया ही है …लेकिन आज हम आपको कूटनीति के विद्वान् चाणक्य के  शब्दों में इसे समझायेंगे ….

अजीर्णे   भैषजम वारि जीर्णे वारि बलप्रदम!

भोजने चामृतम वारि भोजनान्ते विषम प्रदम!!

चाणक्य के अनुसार भोजन के नहीं पचने अर्थात अजीर्ण होने पर पानी औषधि यानी दवा के समान है ,जबकि भोजन के ठीक ठाक पच जाने पर थोड़ा-थोड़ा पानी पीना शक्ति प्रदान करने वाला होता है भोजन के साथ पानी पीना अमृत के समान एवं..भोजन के अंत में पानी पीना जहर के समान फल देने वाला होता है..अर्थात पानी औषधि भी है और जहर भी ..बस  फर्क इतना है क़ि आप इसे कैसे पीते हैं !!

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